सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा। विकट रुप धरि लंक जरावा॥ त्वमस्मिन कार्य निर्योगे प्रमाणं हरिसत्तमा जम कुबेर दिकपाल जहां ते। कवि कोबिद कहि सके कहां ते॥ मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्। मनोजवं मारुततुल्य वेगम् जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ॐ आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि। तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्॥ हनुमान गायत्री मंत्र का अर्थ https://e-web-directory.com/listings13215734/hanuman-mantra-things-to-know-before-you-buy