तुम रच्छक काहू को डर ना ॥२२॥ आपन तेज सह्मारो आपै । राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥ तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥२३॥ भूत पिसाच निकट नहिं आवै । मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् वरिष्ठम्। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। त्वमस्मिन कार्य निर्योगे प्रमाणं हरिसत्तमा https://chaplinm765zjt6.gynoblog.com/34068027/the-hanuman-mantra-diaries