“तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा जब तेरे होते हुए भी किसी और ने तसल्ली दी मुझे। पर आँखों से गिरे आँसू दर्द की आवाज़ कह जाते हैं। वही कारवाँ वही रास्ते वही ज़िंदगी वही मरहले ज़ख़्म ही तेरा मुक़द्दर हैं दिल तुझ को कौन सँभालेगा “माना https://youtu.be/Lug0ffByUck